सन 1920 ई० में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन कोलकाता में सम्पन्न हुआ था / इस अधिवेशन में महात्मा गांधी के असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव 875 के मुकाबले 1855 से पारित हो गया था / और कांग्रेस कार्यकारिणी ने गांधी को
असहयोग आन्दोलन पारित करने की अनुमति दे दी /
असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ करने के समय भारत का वायसराय लार्ड चेम्सफोर्ड था / परन्तु असहयोग आन्दोलन के समाप्ति के समय भारत का वायसराय लार्ड रीडिंग था /
1 अगस्त 1920 ई० को जिस दिन महात्मा गांधी ने असहयोग आन्दोलन शुरू किया था / उसी दिन भारत के महानवेत्ता बाल गंगाधर की मृत्यु हो गयी /
इस आन्दोलन को प्रारंभ करने से पूर्व गांधी ने अपने कैसरे हिन्द की उपाधि ,बोर युद्ध पदक , जूलू युद्ध पदक ब्रिटिश सरकार को वापस कर दिया था /
असहयोग आन्दोलन के दौरान मोती लाल नेहरू ,चितरंजन दास ,डा0 सैफुद्दीन किचलू ,जवाहर लाल नेहरू ,बदरूद्दीन तैयबजी जैसे महान वकीलों के साथ साथ सैकड़ो वकीलों ने वकालत छोड़ दी /
1921 ई० में चेम्सफोर्ड के स्थान पर लार्ड रीडिंग वायसराय बनाकर आया /
5 फरवरी 1922 ई० को चौरी चौरा नामक स्थान पर जनता ने क्रोध में आकर 22 पुलिसकर्मियों को थाने में बंद कर ज़िंदा जला दिया था / भारतीय इतिहास में ये घटना चौरी चौरा कांड के नाम से जानी जाती है /इस घटना से महात्मा गांधी इतने दुखी हुए कि उन्होंने 12 फरवरी 1922 को अपना आन्दोलन स्थगित कर दिया /
13 मार्च 1922 ई० को ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी को यरवदा जेल में भेज दिया /
महात्मा गांधी के विरुद्ध विद्रोह प्रचार का अभियोग चलाकर न्यायमूर्ति ब्रू फील्ड को 6 वर्ष का कठोर कारावास दिया /परन्तु खराब स्वास्थ्य के कारण 6 मई 1924 को जेल से रिहा कर दिया गया /
महात्मा ने इस आन्दोलन के दौरान ही सर्वप्रथम चरखा चलाया था /
"हम सब को जानकर बड़ा दुःख हुआ जब हमें ये मालूम हुआ कि हमारी लड़ाई उस समय बंद कर दी गयी जब हम सफलता के बहुत करीब थे " - जवाहर लाल नेहरू
"गांधी जी किसी आन्दोलन को बड़े साहस से प्रारम्भ करते है कुशलता पूर्वक कुछ समय तक चलाते है परन्तु अंत में साहस खोकर बैठ जाते है " - चितरंजन दास
"उस समय जब जनता का उत्साह चरम पर था पीछे हटने का संकेत देना किसी राष्ट्रसंकट से कम नहीं था "- सुभाष चन्द्र बोष
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