दीपक जांगरा इलेक्ट्रिक बॉय

हरियाणा के सोनीपत जिले से आने वाला दीपक जांगड़ा आजकल पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसकी वजह है उसकी एक अनोखी और अविश्वसनीय क्षमता—करंट यानी बिजली के झटकों का उस पर कोई असर नहीं होता। आम इंसान जहां 220 वोल्ट के करंट से भी गंभीर रूप से घायल हो सकता है या जान गंवा सकता है, वहीं दीपक 11,000 वोल्ट तक के करंट को भी बिना किसी नुकसान के सह लेता है।



एक अद्भुत शक्ति

दीपक जांगड़ा ने दावा किया है कि वह बिजली से नहीं डरता और न ही उसे कोई नुकसान पहुंचता है। उसने कई बार खुद को करंट से जोड़कर इसका प्रदर्शन भी किया है। लोग उसकी इस अनोखी क्षमता को देखकर हैरान रह जाते हैं। उसकी कहानी ने लोगों की सोच को झकझोर कर रख दिया है और वैज्ञानिकों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर ऐसा कैसे संभव है?


कहां से आई यह शक्ति?

दीपक का कहना है कि उसे बचपन से ही यह ताकत महसूस होती थी। जब वह छोटे थे तो गलती से करंट लग गया लेकिन उसे कुछ नहीं हुआ। इसके बाद उसके परिवार वालों को यह समझ में आ गया कि उसमें कुछ खास है। धीरे-धीरे उसने इस ताकत को पहचाना और फिर इसका खुलकर प्रदर्शन करना शुरू किया।


वह दावा करता है कि वह पंखे, हीटर, गीजर, टीवी, फ्रिज जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को छूते हुए भी बिजली के संपर्क में रह सकता है और उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। कई बार वह नंगे तारों को भी छू लेता है और सामान्य रहता है।



वैज्ञानिकों की नजर में

दीपक की यह अनोखी क्षमता वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बन गई है। अब तक इस तरह की विशेषता केवल कुछ ही लोगों में देखने को मिली है, लेकिन दीपक का दावा और उसका आत्मविश्वास इसे और भी खास बनाता है। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि हो सकता है कि उसके शरीर की त्वचा और नसों में कोई विशेष संरचना हो, जो करंट के प्रभाव को न्यूनतम कर देती हो। हालांकि, इस पर अभी गहराई से वैज्ञानिक अध्ययन की जरूरत है।


समाज में संदेश

दीपक जांगड़ा की कहानी हमें यह सिखाती है कि हर व्यक्ति में कोई न कोई खासियत होती है। किसी की क्षमता साधारण से परे भी हो सकती है। दीपक अपने इस टैलेंट से अब सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर भी छाया हुआ है। लोग उसे "इलेक्ट्रिक मैन" कहकर पुकारने लगे हैं।


निष्कर्ष

दीपक जांगड़ा की कहानी एक चमत्कार की तरह लगती है, लेकिन यह सच्चाई है। उसका शरीर करंट से अछूता रहता है, जो किसी भी सामान्य इंसान के लिए संभव नहीं। यह घटना विज्ञान, चिकित्सा और समाज तीनों के लिए सोचने और शोध करने का विषय है। दीपक जैसे युवाओं को पहचान देना, उनकी क्षमताओं को समझना और उन्हें आगे बढ़ने का मौका देना ही समाज की असली जिम्मेदारी है।

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