भारतीय अर्थशास्त्र एवं अर्थव्यवस्था , भारत की अर्थव्यवस्था मिश्रित अर्थव्यवस्था है

 अर्थशास्त्र एवं अर्थव्यवस्था :

अर्थशास्त्र मानव के आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन करता है / मानव द्वारा सम्पन्न वैसी सारी गतिविधिया जिनमे  आर्थिक लाभ एवं हानि का तथ्य विद्यमान हो ,आर्थिक गतिविधिया कही जाती है / 

अर्थशास्त्र पूर्ण शब्द नहीं है , यह एक अधूरा शब्द है अगर इसके आगे किसी देश या किसी विशेष क्षेत्र का नाम जोड़ दिया जाए तो हम किसी देश या  विशेष क्षेत्र को उसकी समस्त आर्थिक क्रियाओं के सन्दर्भ में परिभाषित कर सकते है / और इसी को ही अर्थव्यवस्था कहते है 

आर्थिक क्रियाओ में देश के व्यापारिक क्षेत्र , घरेलू क्षेत्र वस्तू एवं सेवाओं के उपभोग उत्पादन एवं वितरण सम्बंधित है / 

भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में विभिन्न बाते  कह सकते है / -  जैसे 

1.भारतीय अर्थव्यवस्था ग्रामीण एवं कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था है : 

 स्वतंत्रता के 75 वर्षो के पश्चात भी भारत की 50 प्रतिशंत आबादी कृषि क्षेत्र में लगी हुई है और भारत की राष्ट्रीय आय में इनका योगदान लगभग 14 % है इसके आधार पर कहा जा सकता है कि भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है / 

2. भारत की अर्थव्यवस्था मिश्रित अर्थव्यवस्था  है :

 मिश्रित अर्थव्यवस्था का अर्थ निजी क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र का सहअस्तित्व है / भारत ने अपने विकास के लिए मिश्रित अर्थव्यवस्था को ही अपनाया है , जिससे इसका समाजवादी लक्ष्य पूरा हो सके / अपने सम्पूर्ण योजना काल में सरकार ने लगभग 45% पूजी सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश किया है और इसे आर्थिक नियोजन के माध्यम से गति दी सकती है परन्तु उत्पादन के साधनों पर आज भी निजी क्षेत्र का ही वर्चस्व बना हुआ है /
उदारीकरण के पश्चात भारतीय अर्थव्यवस्था पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर है / 

3. भारतीय अर्थव्यवस्था अल्प विकसित अर्थव्यवस्था है : 

भारत के अर्थव्यवस्था के अल्प विकसित  होने की पुष्टि  निम्न तथ्यों से की जा सकती है - 
  • भारत की राष्ट्रीय आय बहुत कम है जिससे प्रति व्यक्ति आय का स्तर बहुत नीचा है / विश्व बैंक के अनुसार 2011 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 1410 डालर थी / 
  • आजादी के 6 दशक के बाद भी देश में गरीबी रेखा से नीचे की जनसंख्या लगभग 27 करोड़ है / यह देश की कुल आबादी का लगभग 21.9 % है / 
  • विश्व बैंक की विश्व विकास सूचक शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट के अंतर्गत विश्व में निर्धन (गरीब) लोगो की सबसे ज्यादा जनसंख्या भारत में है / 
  • भारत में बेरोजगारी का स्तर बहुत ऊंचा है 
  • पूंजी एवं संसाधनों की न्यूनता है तथा सकल घरेलू बचत की दर काफी नीचे है 
  • केन्द्रीय सांख्यकीय संगठन(C.S.O) के अनुसार  2011-12 में देश की सकल घरेलू पूंजी निर्माण की दर GDP  प्रतिशत के रूप में 35%  आकलित हुई /

महत्वपूर्ण प्रश्न :

  • भारतीय अर्थव्यवस्था किस प्रकार की अर्थव्यवस्था को अपनाया गया  है - मिश्रित अर्थव्यवस्था 
  • भारत की अर्थव्यवस्था कैसी है - अल्पविकसित अर्थव्यवस्था 

राष्ट्रीय आय : 

भारत की राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आया का आकलन का सर्वप्रथम प्रयास दादाभाई नौरोजी ने वर्ष 1867-68 में किया था / दादाभाई नौरोजी के गणना के अनुसार 1868 के दौरान भारत में प्रति व्यक्ति आय 20 रूपये थी / एफ सिर्रास ने 1911 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 49 रूपए बताया / राष्ट्रीय आय की गणना के लिए उत्पाद पद्धति एवं आय पद्धति दोनों का सहारा लिया जाता है / 

उत्पाद पद्धति :

इसके तहत माल एवं सेवाओं के शुद्ध मूल्य बृद्धि का आकलन किया जाता है इसका प्रयोग कृषि ,वानिकी ,पशुपालन, खनन एवं उद्योग क्षेत्र में किया जाता है/ इसे मूल्यवर्धित पद्धति के नाम से भी जाना जाता है /

आय पद्धति :

 इसके अंतर्गत उत्पाद के घटकों के लिए किए गए भुगतानों का योग किया जाता है / और इसका प्रयोग परिवहन , प्रशासन और व्यापार जैसे सेवा प्रदाता को जीडीपी के आकलन को करने के लिए करते है /

नोट -भारत में सांख्यकीय विभाग के अंतर्गत केन्द्रीय सांख्यकीय राष्ट्रीय आय के आंकलन के लिए उत्तरदायी है / 

राष्ट्रीय आय :

राष्ट्रीय आय से तात्पर्य अर्थव्यवस्था द्वारा पूरे वर्ष के दौरान उत्पादित अंतिम वस्तुओ व् सेवाओं के शुद्ध मूल्य के योग से होता है , इनमे विदेशो से अर्जित शुद्ध आय भी शामिल होती है 
राष्ट्रीय आय एक दिए हुए समय में किसी अर्थव्यवस्था की उत्पादन शक्ति को मापती है / 
भारत में राष्ट्रीय आय के वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होता है /

महत्वपूर्ण प्रश्न 

  • भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय का आंकलन किसने किया था और कितना - दादा भाई नौरोजी (20 रूपए )
  • भारत में राष्ट्रीय आय का आकलन कौन करता है - केन्द्रीय सांख्यकीय संगठन 

राष्ट्रीय आय की अवधारणाए :

सकल राष्ट्रीय उत्पाद (G.N.P) :

किसी देश के नागरिको द्वारा किसी दी हुई समयावधि में सामान्यतया एक वित्तीय वर्ष में उत्पादित कुल अंतिम वस्तुओ  तथा  सेवाओं का मौद्रिक मूल्य सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहलाती है / इसमे देश के भाहर उत्पादित वस्तुओ को भी सम्मिलित किया जात्ता है / 

शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद : 

शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद ज्ञात करने के लिए G.N.P में से पूंजी स्टाक की खपत को घटाना होता है /

वैयक्तिक आय: 

यह देश वासियों को वास्तव में प्राप्त होने वाली आय होती है 

नोट - किसी भी देश के देश के आर्थिक व्यवस्था का सर्वश्रेष्ठ सूचक प्रति व्यक्ति आय होती है /





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