असहयोग आन्दोलन :
1920 ई० में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में कांग्रेस का विशेष अधिवेशन कोलकाता में सम्पन्न हुआ था / उस अधिवेशन में महात्मा गांधी के असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव 873 के मुकाबले 1855 से पारित हो गया था / और कांग्रेस कार्यकारिणी ने गाँधी को असहयोग आन्दोलन पारित करने की अनुमति दे दी थी /
असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ करने के समय भारत का वायसराय लार्ड चेम्सफोर्ड था , परन्तु असहयोग आन्दोलन की समाप्ति के समय भारत का वायसराय लार्ड रीडिंग था /
1 अगस्त 1920 ई० को जिस दिन महात्मा गांधी ने असहयोग आन्दोलन शुरू किया था , उसी दिन भारत के महान नेता बाल गंगाधर की मृत्यु हो गयी थी /
इस आन्दोलन को प्रारम्भ करने से पहले गांधी ने अपने कैसरे हिन्द की उपाधि ,जुलू युद्ध पदक , और बोर युद्ध पदक ब्रिटीश सरकार को वापस कर दिया था /
असहयोग आन्दोलन के दौरान मोतीलाल नेहरू ,चितरंजन दास ,डा० सैफुद्दीन किचलू ,जवाहर लाल नेहरू , बदरूद्दीन तैयबजी जैसे महान वकीलों के साथ साथ सैकड़ो वकीलों ने वकालत छोड़ दी /
5 फरवरी 1922 ई० को चौरी चौरा नामक स्थान पर जनता ने क्रोध में आकर 22 पुलिस कर्मियों को थाने में बंद करके जिन्दा जला दिया था ,भारतीय इतिहास में इस घटना को चौरी चौरा कांड के नाम से जानी जाती है इस घटना से महात्मा गांधी इतना दुखी हुए कि उन्होंने 12 फरवरी 1922 को अपना आन्दोलन स्थगित कर दिया /
13 मार्च 1922 ई० को ब्रिटिश सरकार ने गांधी को पूना के यरवदा जेल में भेज दिया /
महात्मा गांधी के विरुद्ध विद्रोह प्रचार का अभियोग चलाकर न्यायमूर्ति ब्रू फील्ड को 6 वर्ष का कठोर कारावास दिया गया /
महात्मा गांधी ने इस आन्दोलन के दौरान सर्वप्रथम चरखा चलाया था /
"हम सब को जानकर बड़ा दुःख हुआ जब हमने सूना कि हमारी लड़ाई उस समय बंद कर दी गयी , जब हम सफलता के करीब बढ़ रहे थे " - जवाहर लाल नेहरू
"गांधी जी किसी आन्दोलन बड़े साहस से प्रारम्भ करते है ,कुशलता पूर्वक कुछ समय तक चलाते है परन्तु अंत में साहस खोकर बैठ जाते है " - चितरंजन दास
" उस समय जबकि जनता का उत्साह अपने चरम पर था , पीछे हटने का संकेत देना किसी राष्ट्र संकट से कम नहीं था " - सुभाष चन्द्र बोष
सविनय अवज्ञा आन्दोलन :
सविनय अवज्ञा आन्दोलन (नमक आन्दोलन दांडी मार्च) 1929 ई० के कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस कार्यकारिणी ने गांधी जी को सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने की अनुमति प्रदान कर दी , इस अधिवेशन की अध्यक्षता पंडित जवाहर लाल नेहरू ने की थी /
फरवरी 1930 ई० में साबरमती आश्रम में हुई कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में महात्मा गांधी को सविनय अवज्ञा आन्दोलन की बागडोर सौप दी गयी /
महात्मा गांधी सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने से पहले अपना 11 सूत्रीय मांगपत्र तत्कालीन वायसराय लार्ड इरविन को सौंपा और कहा कि यदि हमारी मांग को मान लिया जाये तो मै अपना आन्दोलन स्थगित कर दूंगा /
गांधी जी ने अपनी 11 सूत्रीय मांगो के ना माने जाने पर लार्ड इरविन को एक पत्र लिखा " मैंने रोटी माँगी और जवाब में मुझे पत्थर मिला इन्तजार की घडिया अब ख़त्म हो गयी " सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को ऐतिहासिक
नमक यात्रा अपने चुने हुए 78 अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से प्रारम्भ किया लगभग 300 मील की यात्रा पूरी करने के पश्चात 5 अप्रैल 1930 को महात्मा गांधी दांडी पहुचे और 6 अप्रैल 1930 ई० को समुद्र तट पर नमक बनाकर नमक क़ानून का उल्लंघन किया /
खां अब्दुल गफ्फार खां का सविनय अवज्ञा आन्दोलन में योगदान :
दांडी प्रस्थान के समय गांधी ने कहा कि यदि मेरी इस यात्रा से स्वराज्य नही मिलता तो मै रास्ते में मर जाना चाहूँगा ,और अगर नमक से टैक्स भी नहीं हटवा सका तो मेरा आश्रम लौटने का कोई इरादा नही है /
उत्तरी पश्चिमी सीमा प्रांत के मुसलमानों ने खां अब्दुल गफ्फार खां के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाया था इनके द्वारा चलाये गए आन्दोलन को खुदाई खिदमतगार आन्दोलन या लाल कुर्ती आन्दोलन कहा जाता है /
खां अब्दुल गफ्फार खां को फ्रंटियर गांधी ,सीमान्त गांधी य सरहदी गांधी कहा जाता था , और खां अब्दुल गफ्फार खां के अनुयायी महात्मा गांधी को मलंग बाबा कहते थे /
चन्द्र सिंह गढवाली :- ब्रिटिश सरकार ने चन्द्र सिंह गढ़वाली के नेतृत्व में उत्तरी पश्चिमी प्रांत के पठानो को दबाने के लिए एक सेना भेजी परन्तु एस सेना ने पठानों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया /
मैडम गैडविन्ल्यू :- पूर्वी भारत में 13 वर्षीय नागा महिला गैडविन्ल्यू को अंग्रेजो ने गिरफ्तार कर लिया और जब देश स्वतंत्र हुआ तब पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इन्हें रानी की उपाधि के साथ इन्हे जेल से रिहा किया /
मास्टर सूर्यसेन :- 1932 ई० में मास्टर सूर्यसेन के नेतृत्व में क्रान्तिकारियो ने चटगाव (बंगलादेश) शस्त्रागार पर हमला करके उसे लूट लिया /
तमिलनाडू में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने उत्तर प्रदेश में गोविन्द बल्लभ पन्त ,जवाहर लाल नेहरू ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का नेतृत्व किया , श्रीमती सरोजनी नायडू और इमाम साहब के नेतृत्व में धरसना (महाराष्ट्र) के नमक गोदाम पर धावा बोल दिया और यही पर इन दोनों को लोहे की लाठियों से पीटा गया /
भारत छोडो आन्दोलन :
14 जूलाई 1942 ई० को वर्धा (महाराष्ट्र) में कांग्रेस कार्यकारिणी की एक बैठक में भारत छोडो आन्दोलन का प्रस्ताव पेस किया गया / 8 अगस्त 1942 ई० को मुंबई के प्रसिद्ध बलिया टैंक मैदान (आजाद मैदान) में कांग्रेस कमेते की एक बैठक हुई और इसी में भारत छोडो आन्दोलन को स्वीकार गया
महात्मा गांधी ने इसी आन्दोलन के दौरान करो या मरो का नारा दिया था ,
9 अगस्त 1942 ई० को महात्मा गांधी सहित कांग्रेस के बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए /
गांधी जी को कस्तूरबा गांधी , महादेसाईं ,और सरोजिनीं नायडू के साथ पूना के आंगा खां पैलेस तथा जवाहर लाल नेहरू अबुल कलाम आजाद ,बल्लभ पटेल , गोविन्द बल्लभ पत तथा पट्टाभि सीता रमैया को अहमद नगर के किले में बंद कर दिया गया /
अहमद नगर के किले में ही नेहरू जी दिस्कबरी आफ इंडिया नामक पुस्तक की रचना की /
कस्तूरबा गांधी और महादेसाई की मृत्यु आंगा खां पैलेस में कैद के दौरान हो गई /
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