कम्पनी के अधीन गवर्नर-जेनरल

कम्पनी के अधीन गवर्नर-जेनरल

बंगाल के गवर्नर

राबर्ट क्लाइव (1757-1760 ई० एवं पुनः 1765-1767 ई०)
इसने बंगाल में द्वैध शासन की व्यवस्था की, जिसके तहत राजस्व वसूलने, सैनिक संरक्षण एवं विदेशी मामले कम्पनी के अधीन थे, जबकि शासन चलाने की जिम्मेवारी नवाब के हाथों में थी।
इसने मुगल सम्राट् शाह आलम द्वितीय को इलाहाबाद की द्वितीय संधि (1765 ई०) के द्वारा कम्पनी के संरक्षण में ले लिया।
राबर्ट क्लाइव ने बंगाल के समस्त क्षेत्र के लिए दो उप दीवान, बंगाल के लिए मुहम्मद रजा खाँ और बिहार के लिए राजा शिताब राय को नियुक्त किया।
अन्य गवर्नर बरेलास्ट 1767-1769 ई०), कार्टियर (1769-1772 ई०). वारेन हेस्टिंग्स (1772-1774 ई०) थे।

कम्पनी के अधीन गवर्नर-जेनरल

रेग्यूलेटिंग एक्ट 1773 ई० के अनुसार बंगाल के गवर्नर को अब अंग्रेजी क्षेत्रों का गवर्नर जेनरल कहा जाने लगा, जिसका कार्यकाल 5 वर्षों का निर्धारित किया गया। मद्रास एवं बम्बई के गवर्नर को इसके अधीन कर दिया गया। इस प्रकार भारत में कम्पनी के अधीन प्रथम गवर्नर जेनरल वारेन हेस्टिंग्स (1774-1785 ई०) हुआ।
वारेन हेस्टिंग्स 1750 ई० में कम्पनी के एक क्लर्क के रूप में कलकत्ता आया था और अपनी कार्यकुशलता के कारण कासिम बाजार का अध्यक्ष, बंगाल का गवर्नर एवं कम्पनी का गवर्नर जेनरल बना।

बारेन हेस्टिंग्स (1774-1785 ई०)



  • इसने राजकीय कोषागार को मुर्शिदाबाद से हटाकर कलकत्ता लाया।
  • 1772 ई० में इसने प्रत्येक जिले में एक फौजदारी तथा दीवानी अदालतों की स्थापना की।
  • इसने 1781 ई० में कलकत्ता में मुस्लिम शिक्षा के विकास के लिए प्रथम मदरसा स्थापित किया।
  • इसी के समय 1782 ई० में जोनाथन डंकन ने बनारस में संस्कृत विद्यालय की स्थापना की।
  • गीता के अग्रेजी अनुवादकार विलियम विलकिन्स (चार्ल्स) को हेस्टिंग्स ने आश्रय प्रदान किया।
  • की स्थापना की।
  • इसने मुगल सम्राट् को मिलने वाला 26 लाख रुपये की वार्षिक पेंशन बन्द करवा दी। इसी के समय में 1780 ई० में भारत का पहला समाचार पत्र 'द बंगाल गजट' का प्रकाशन जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने किया था ।
  • इसी के समय में रेग्यूलेटिंग एक्ट के तहत 1774 ई० में कलकत्ता में एक उच्च न्यायालय की स्थापना की गयी, जिसका अधिकार क्षेत्र कलकत्ता तक था; कलकत्ता के बाहर का मुकदमा तभी सुना जाता था जब दोनों पक्ष सहमत हो। इसने बंगाली ब्राह्मण नंद कुमार पर झूठा आरोप लगाकर न्यायालय से फाँसी की सजा दिलवा दी थी।
  • प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध(1775-1782 ई०) एवं द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध (1780-1784 ई०) वारेन हेस्टिंग्स के समय में ही लड़े गये। प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध सलबाई की संधि (1782 ई०) एवं द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध मंगलोर की संधि (1784 ई०) के द्वारा समाप्त हुए।
  • इसी के काल में 'बोर्ड ऑफ रेवेन्यू' की स्थापना हुई।
  • पिट्स इंडिया एक्ट (1784 ई०) के विरोध में इस्तीफा देकर जब वारेन हेस्टिंग्स फरवरी, 1785 ई० में इंगलैंड पहुँचा तो बर्क द्वारा उसके ऊपर महाभियोग लगाया गया। परन्तु 1795 ई० में इसे आरोपों से मुक्त कर दिया गया।

जॉन मैकफरसन (1785-1786 ई०)



  • इसे अस्थायी गवर्नर-जेनरल नियुक्ति किया गया था।


लार्ड कॉर्नवालिस्(1786-1793 और 1805 ई०)


  • इसके समय में जिले के समस्त अधिकार कलेक्टर के हाथों में दे दिए गए।
  • इसने भारतीय न्यायाधीशों से युक्त जिला फौजदारी अदालतों को समाप्त कर उसके स्थान पर चार भ्रमण करने वाली अदालतें, जिनमें तीन बंगाल के लिए और एक बिहार के लिए नियुक्त की।
  • कॉर्नवालिस ने 1793 ई० में प्रसिद्ध कॉर्नवालिस कोड का निर्माण करवाया, जो शक्तियों के पृथक्कीकरण सिद्धान्त पर आधारित था। पुलिस कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस अधिकार प्राप्त जमींदारों को इस अधिकार से वंचित कर दिया।
  • कम्पनी के कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया। जिला में पुलिस थाना की स्थापना कर एक दारोगा को इसका इंचार्ज बनाया।
  • भारतीयों के लिए सेना में सूबेदार, जमादार, प्रशासनिक सेवा में मुंसिफ, सदर, अमीन या डिप्टी कलेक्टर से ऊँचा पद नहीं दिया जाता था।
  • इसने 1793 ई० में स्थायी बन्दोबस्त की पद्धति लागू की, जिसके तहत जमींदारों को अब भू राजस्व का लगभग 90% भाग) कम्पनी को तथा लगभग 10% (15 भाग अपने-पास रखना था।
  • स्थायी बंदोबस्त की योजना जॉन शोर ने बनाई थी। इसे बंगाल, बिहार, उड़ीसा, बनारस एवं मद्रास के उत्तरी जिलों में लागू की गई थी। इसमें जमींदार भू-राजस्व की दर तय करने के लिए स्वतंत्र थे।
  • कॉर्नवालिस को भारत में नागरिक सेवा का जनक माना जाता है।

सर जॉन शोर (1793-1798 ई०)



  • इसने अहस्तक्षेप नीति अपनाई।

लार्ड वेलेजली (1798-1805 ई०)



  • इसने सहायक संधि की पद्धति शुरू की। भारत में सहायक संधि का प्रयोग वेलेजली से पूर्व फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले ने किया था।
  • सहायक संधि करनेवाले राज्य थे- हैदराबाद (1798 ई०) मैसूर (1799 ई०) तंजौर (अक्टूबर, 1709 ई०), अवध (1801 ई०). पेशवा (दिसम्बर, 1801 ई०), बरार एवं मोसले (दिसम्बर 1803 ई०), सिंघिया (1804 ई०) एवं अन्य सहायक संधि करनेवाले राज्य जोधपुर, जयपुर, मच्छेड़ी, बूँदी तथा भरतपुर ।
  • इसी समय टीपू सुल्तान चौथे  ऑग्ल-मैसूर युद्ध (1799 ई०) में मारा गया।
  • इसी ने (1800 ई०) कलकत्ता में नागरिक सेवा में भर्ती किए गए युवकों को प्रशिक्षित करने के लिए फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की।
  • यह स्वयं को बंगाल का शेर कहा करता था।
  • लार्ड कार्नवालिस का (1805 ई०) दूसरा कार्यकाल शुरू हुआ, परन्तु शीघ्र ही इसकी मृत्यु हो गयी।

सर जार्ज वर्लो


  • 1806 ई० में वेल्लोर में हुई सिपाही विद्रोह इसके काल की महत्वपूर्ण घटना है।

मिन्टो प्रथम (1807-1813 ई०)



  • इसके काल में रणजीत सिंह एवं अंग्रेजों के बीच 25 अप्रैल, 1809 ई० को अमृतसर की संधि (मध्यस्थता चार्ल्स मेटकॉफ) हुई। इसी के समय चार्टर एक्ट 1813 पास हुआ।

लार्ड हेस्टिंग्स(1813-1823 ई०)



  • इसी के समय आग्ल-नेपाल युद्ध (1814-1816) ई० में हुई. इसमें नेपाल के अमर सिंह थापा को आत्मसमर्पण करना पड़ा। मार्च, 1816 ई० में अंग्रेजों एवं गोरखों के बीच संगोली की संधि के द्वारा आंग्ल नेपाल युद्ध का अंत हुआ।
  • इसके समय में पिंडारियों का दमन कर दिया गया। पिंडारियों के प्रमुख नेताओं में वासिल मुहम्मद, चीतू एवं करीम खाँ थे।
  • इसने मराठों की शक्ति को अंतिम रूप से नष्ट कर दिया।
  • इसने प्रेस पर लगे प्रतिबंध को समाप्त कर प्रेस के मार्गदर्शन के लिए नियम बनाए।
  • इसी के समय 1822 ई० का टैनेन्सी एक्ट या काश्तकारी अधिनियम लागू किया गया।
एमहर्स्ट (1823-1828 ई०)


  • इसके समय में प्रथम आंग्ल वर्मा युद्ध(1824-1826 ई०) लड़ा गया।
  • 1826 ई० में वर्मा एवं अंग्रेजों के बीच यान्डबू की संधि हुई।
  • 1824 ई० में बैरकपुर का सैन्य विद्रोह भी इसी के समय में हुआ।
लार्ड विलियम बैंटिक (1828-1835 ई०)


  • 1803 ई० में यह मद्रास का गवर्नर था. इसी के समय 1806 ई० में माथे पर जातीय चिह्न न लगाने तथा कानों में बालियाँ न पहनने देने पर वेल्लोर के सैनिकों ने विद्रोह कर दिया।
  • 1833 ई० के 'चार्टर एक्ट' द्वारा बंगाल के गवर्नर जेनरल को भारत का गवर्नर जेनरल बना दिया गया। इस प्रकार भारत का पहला गवर्नर-जेनरलाई विलियम बेटिक हुआ।
  • राजा राममोहन राय के सहयोग से बैंटिक ने 1829 ई० में सती प्रथा को समाप्त कर दिया। बेटिक ने इस प्रथा के खिलाफ कानून बनाकर 1829 ई० में धारा 17 के द्वारा विधवाओं के सती होने की अवैध घोषित कर दिया।
  • नोट - अकबर और मराठा पेशवाओं ने भी सती प्रथा पर रोक लगाने का प्रयास किया था।
  • बैटिक ने कर्नल डीमन की सहायता से 1830 ई० तक ठगी प्रथा को समाप्त कर दिया। कलकत्ता मेडिकल कॉलेज की स्थापना की।
  • इसी के समय मैकाले की अनुशंसा पर अंग्रेजी की शिक्षा का माध्यम बनाया गया। मैकाले द्वारा कानून का वर्गीकरण भी किया गया।
  • बेटिक ने 1831 ई० में मैसूर तथा 1834 ई० में कुर्ग एवं मध्यकचेर को हड़प लिया
  • इसने भारतीयों को उत्तरदायी पदों पर नियुक्त किया।
  • इसने शिशु बालिका की हत्या पर भी प्रतिबंध उगा दिया।

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