गुप्त वंश (समुद्रगुप्त,चंद्रगुप्त द्वितीय)

गुप्त वंश (समुद्रगुप्त,चंद्रगुप्त द्वितीय)


  • भारतीय इतिहास में गुप्त काल को स्वर्ण युग कहा जाता है ।
  • गुप्त वैश्य थे तथा उनके विभिन्न शासकों ने कई महान उपलब्धियां हासिल की ।
  • गुप्तो ने 275 ईस्वी से 550 ईसवी तक शासन किया ।
  • गुप्त वंश का संस्थापक महाराज श्रीगुप्त थे ।
  • इसके बाद घटोत्कच शासक बना दोनों ने महाराजा की उपाधि धारण की 
  • चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का तीसरा शासक था इसके समय से गुप्तों का तेजी से उत्कर्ष हुआ इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की


चंद्रगुप्त प्रथम (319 से 335) ईस्वी 

  • प्रारंभिक गुप्त शासको में चंद्रगुप्त प्रथम सर्वाधिक शक्तिशाली था लिच्छवियों के साथ वैवाहिक संबंधों की स्थापना इसके कार्यकाल के सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना थी 
  • चंद्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवि राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया इसने पंजाब की रानी क्षेमा से भी विवाह किया 
  • चंद्रगुप्त प्रथम ने वैवाहिक संबंध स्थापित करके अपने राज्य के साम्राज्य का विस्तार किया
  • चंद्रगुप्त प्रथम ने एक नया संवत चलाए जिसे गुप्त संवत कहा जाता है यह संबंध (319- 320) ईस्वी में प्रारंभ हुआ

समुद्रगुप्त (335 से 375) ईसवी

  • चंद्रगुप्त प्रथम के बाद उसका पुत्र समुद्र गुप्त शासक बना 
  • प्रयाग प्रशस्ति लेख जिसे इलाहाबाद स्तंभ लेख भी कहते हैं उससे समुद्रगुप्त की विभिन्न उपलब्धियों की जानकारी मिलती है 
  • समुद्रगुप्त एक महान विजेता शासक था उसने कई विजय प्राप्त की आर्यावर्त के विजय अभियान में समुद्रगुप्त ने तीन प्रमुख शक्तियों नाग सेन (ग्वालियर) अच्युत (बरेली उत्तर प्रदेश) तथा कोतकुलज को पराजित किया 
  • समुद्रगुप्त ही गुप्त वंश का एक ऐसा शासक था जिसका प्रभाव विदेश में भी था 
  • अपने गुरूर विस्तार वादी नीति के कारण समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है 
  • हरिषेण जोकि समुद्रगुप्त का दरबारी कवि था और मंत्री था जिसने प्रयाग प्रशस्ति की रचना की थी 
  • सिक्कों पर समुद्रगुप्त को वीणा बजाते हुए दिखाया गया इससे यह प्रतीत होता है कि समुद्रगुप्त एक संगीत प्रेमी व्यक्ति था

चंद्रगुप्त द्वितीय "विक्रमादित्य" (380 से 415) ई०

  • समुद्रगुप्त के बाद उसका पुत्र चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य शासक बना
  • साम्राज्य विस्तार के कारण उसे विक्रमादित्य की उपाधि दी गई चंद्रगुप्त द्वितीय ने कुबेर वंश, वाकाटक वंश एवं कदंब वंश से विवाह  स्थापित किया 
  • चंद्रगुप्त द्वितीय ने शकों को हराया था 
  • चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य की गणना भारत के महानतम सम्राटों में की जाती है 
  • चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल को प्राचीन भारतीय इतिहास में स्वर्ण युग के नाम से जाना जाता है 
  • कुमारजीव का शिष्य फाह्यान जो 399 ई से लेकर 414 ई तक भारत में रहा वह चंद्रगुप्त द्वितीय के समय में ही आया था 
  • कालिदास इनका दरबारी कवि था जिसे भारत का शेक्सपियर कहा जाता है 
  • चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में उनके दरबार में नवरत्न रहते थे

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