वायुमंडल से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्रश्न



वायुमंडल क्या है?

पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु के विस्तृत फैलाव को वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल की वायु रंगहीन, गंधहीन एवं स्वादहीन है।

विस्तार से जाने :

वायुमंडल की ऊंचाई 32,000 किमी. से भी अधिक है। वायुमंडल में विभिन्न प्रकार की गैसें, जलवाष्प, धूलकण आदि पाए जाते हैं। सबसे ऊपर वाली गैसें अत्यन्त विरल तथा हल्की है।

वायुमंडल में जलवाष्प की औसत मात्रा 2% है। ऊंचाई के साथ जलवाष्प की मात्रा कम होती है। जलवाष्य सूर्य से आने वाले सूर्यातप के कुछ भाग को अवशोषित कर लेता है तथा पृथ्वी द्वारा विकिरित ऊष्मा को संजोए रखता है। इस प्रकार यह कंबल का काम करता है, जिससे पृथ्वी न तो अत्यधिक गर्म और न ही अत्यधिक ठंडी हो सकती है। इसे ही ग्रीन हाउस इफैक्ट (हरित गृह प्रभाव) कहते हैं। इसके कारण ही ओस, इंद्रधनुष कोहरा, बादल आदि बनते हैं और वर्षा होती है।

आकाश का नीला रंग धूल के कणों के कारण ही दिखाई देता है। दिन के समय आकाश का नीला रंग सूर्य किरणों के प्रकीर्णन के कारण होता है। सूर्य किरणों के प्रकीर्णन न होने की स्थिति में सूर्य के क्षितिज पर ऊंचा होने पर आकाश काला दिखाई देगा।

वायुमंडल में उपस्थित गैसें : 

वायुमंडल में उपस्थित गैसें एवं उनकी प्रतिशत मात्रा इस प्रकार हैं।

  • नाइट्रोजन (78.03%),
  • ऑक्सीजन (20.99%),
  • आर्गन (0.94%),
  • कार्बन डाइ-ऑक्साइड (0.03%),
  • हाइड्रोजन (0.01%),
  • नियॉन (0.0018%),
  • हीलियम (0.0005%),
  • क्रिप्टॉन (0.0001%),
  • जेनान (0.000009%)
  • ओजोन (0.000001%)
अन्य जानकारी :

जब वर्षा के जल में निर्धारित मात्रा से अधिक अम्ल होता है, तो उसे अम्ल वर्षा कहते हैं। 

इसमें वायु में उपस्थित प्रदूषणकारी रसायनों की प्रतिक्रिया से प्राकृतिक वर्षा का जल अम्लीय हो जाता है। अम्ल वर्षा शब्द का प्रयोग सबसे पहले यू.के. के मुख्य अल्कली इंस्पेक्टर रॉबर्ट अंगस स्मिथ ने 1872 ई. में किया था। 

वर्षा के जल को अम्लीय बनाने के लिए मुख्यतः सल्फर डाइ-ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइ-ऑक्साइड तथा नाइट्रस ऑक्साइड उत्तरदायी हैं। किसी भी दिए गए स्थान और समय पर वहां की हवा के स्तंभ का भार वायुमंडलीय दाब कहलाता है। 

यह दबाव एक यंत्र से मापा जाता है, जिसे वायुदाबमापी या बैरोमीटर कहते हैं। इसकी इकाई मिलीबार है। एक मिलीबार एक वर्ग सेंटीमीटर पर एक ग्राम भार के बल के बराबर होता है। समुद्रतल पर सामान्य वायुमंडलीय दाब लगभग 76 सेंटीमीटर या 1,013.25 मिलीबार के बराबर होता है।

हर 165 मीटर पर तापमान 1°C कम हो जाता है और 300 मीटर पर दबाव 34 पास्कल कम हो जाता है।

ऊंचाई के साथ गैसों का घनत्व कम होता जाता है। प्रति 300 मीटर पर जल का क्वथनांक 1° सेल्सियस कम हो जाता है। इसी वजह से पहाड़ों पर मैदानों की तुलना में पानी जल्दी उबलने लगता है, लेकिन खाना पकाने में अधिक समय लगता है।

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