भगवान बुद्ध संसार से मोह माया त्याग चुके थे / एक दिन एक नगर सेठ उनसे मिलने आया और वह हीरे जवाहरात से भरा हुआ एक कटोरा लाया और उन्हे भेट किया और भगवान से कहा कि आप इसी कटोरे से भिक्षा यापन किया करिए भगवान ने कहा ठीक है/
लेकिन उनके शिष्य आनंद को ये बात ठीक नही लगी तो उन्होने ने अपनी नाराजगी
जाहिर की आनंद ने कहा भगवान एक तरफ तो आप मोह माया से विरक्त हो गये है और दूसरी
तरफ आप हीरे जवाहरात से भरे हुए भेट स्वीकार कर रहे है / कुछ समझ मे नही आ रहा ये
क्या बात हुई / कही ऐसा तो नही कि आपका त्यागी होना विरक्त होना सिर्फ एक दिखावा है अंदर से आपकी आशक्तिया अभी भी खत्म
नही हुई है / भगवान मुस्कुराये और बोले तुम्हे इस कटोरे मे हीरे मोती जडे हुए
दिखते है / मेरे लिए तो ये एक साधारण सा
भिक्षा पात्र है / तुमसे अभी संसार छूटा नही और मै सोने, चांदी, ईट, पत्थर का भेद कब का ख्त्म
कर चुका हू / कोई मुझे मुठ्ठी भर सोना दे वो भी स्वीकार कोई मुझे मुठ्ठी भर मिट्टी
दे वो भी स्वीकार अगर मै मिट्टी को अपनाने और सोने को ठुकराने लगू तो इसका मतलब ये
हुआ कि मै अभी भी मिट्टी और सोने के अंतर मे उलझा हुआ हू / इसका मतलब ये हुआ कि मै
अभी शुद्ध बुद्ध और मुक्त नही हुआ / आनंद के आंखो से आसू आ गये और उन्हे उनका
उत्तर मिल गया /
2 टिप्पणियाँ
Wah re prabhu
जवाब देंहटाएंGreat Thinker
जवाब देंहटाएंif you have any doubt please let me know