चेतक :
चंद्रशेखर आज़ाद एक महान योद्धा
उस वीर योद्धा के लिए यही कह सकते है ।
टापो की सुनते ही पुकार , दुश्मन भी थर्रा जाए ।
देखने से पहले दुश्मन के , वो आसमान में उड़ जाए ।।
कहने को तो बहुत कुछ कह सकते है उसकी वीरता के लिए क्योकि वो एक सच्चा वीर था और सच्चे वीरो के लिए शब्दों की कमी हो ही नहीं सकती
मैं आज आपको चेतक की एक कहानी बताने वाला हूँ । शायद उसे सुनकर आपके जीवन में भी वीरता जागृत हो । और वो वीरता देश की तरक्की के लिए लाभकर साबित हो ।
वीर शिवाजी एवं मराठा साम्राज्य
चेतक की योग्यता :
चेतक एक ईमानदार , निडर तथा साहसी घोड़ा जिसके बारे में ये कहा जाता है कि इसने अपने मालिक को स्वतः चुना था ।
सारांश
1576 ई0 के हल्दीघाटी युद्ध में जब चेतक सरपट दौड़ने लगा तो उसे देखकर मुगलो की हिल गयी । मुगलो की सेना भागने लगी लेकिन मुगलो की सेना राणा की सेना की कई गुनी थी । लेकिन फिर भी राणा ने हार नहीं मानी और वे लड़ते रहे । चेतक हाथियों के मस्तक पर चढ़ जाता था । और उसे किसी इसारे की जरुरत नहीं पड़ती थी । राणा ने जिधर देखा उधर की सेना साफ़ । इतिहास कार कहते है कि चेतक आसमान में वार कर देता था । लेकिन मुगलो की सेना बहुत थी और राणा प्रताप घायल थे और चेतक भी घायल हो गया था । लेकिन वो चेतक था कोई आम घोड़ा नही था जो अपनी जान बचाकर मालिक को वही छोड़ के चला जाए । उसने घायल होने के बावजूद भी राणा प्रताप को 25 फ़ीट की दरिया को कूदकर जान बचा दी । लेकिन चेतक वही धराशायी हो गया ।
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