मंगल पर जीवन की संभावना को लेकर क्या कहती है नासा की नयी रिसर्च


क्या मंगल ग्रह पर जीवन संभव है?


अभी अभी ऐसी सूचना निकल कर आई है कि मंगल पर जीवन हो ही नहीं सकता पानी वानी को दरकिनार कर दीजिए । 
हाल ही में नासा के के इनसाइट लैंडर मिशन ने जो कि 2018 में छोड़ा गया था और वह तब से वहां कार्य कर रहा था उसके हाल ही के एक रिपोर्ट में उसने साबित कर दिया है कि यहां पर जीवन हो ही नहीं सकता यहां पर जीवन जीना असंभव है



मंगल पर जीवन की तलाश को बड़ा झटका! नासा ने बताया क्‍यों लाल ग्रह पर जिंदा नहीं रह सकते इंसान?

नासा ने  3 साल पहले एक लैंडर भेजा था जिसका नाम था इनसाइड लैंडर अब मैं थोड़ा सा आपको इनसाइड लेंडर के बारे में बताता हूं ।

असल में दुनिया भर के बहुत सारे देशों ने जो कि अमेरिका हितेषी है जो यूरोप के समर्थक है लैंडर और रोवर आप जानते हैं लैंडर का मतलब जो वहां पर लैंड करके काम कर सके । 

इसे लॉकिंग मार्टिन स्पेस  कंपनी के द्वारा बनाया गया था । यह मिशन 2018 से कार्य कर रहा है। असल में यह जो मिशन था इसका कार्य अब खत्म हो चुका है। यह प्रोजेक्ट 1600 करोड़ से अधिक का बना प्रोजेक्ट था। इतना बड़ा जो प्रोजेक्ट था इसने फिलहाल अपना जो कार्य था वह दिसंबर 2022 में बंद कर दिया है।

इनसाइट लैंडर ने अपने द्वारा आखरी चित्र भेजते हुए यह मैसेज दिया अब मैं चलता हूं मेरा इतना ही कार्यकाल था अब पूर्व हुआ इससे ज्यादा ऊर्जा मेरे पास नहीं है की मैं और आगे तक चल सकू।

2018 में भेजा गया यह इनसाइट लैंडर वहां पर बहुत बढ़िया बढ़िया  रिसर्च किया 
इनसाइट लैंडर ने मार्स पर अर्थात मंगल पर 1000 से अधिक बार भूकंप को महसूस किया 
अब यही से समझने का प्रयास कीजिएगा क्योंकि आगे जो जानकारी आ रही है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है।
मेरे प्यारे साथियों इससे यह पता चला कि मंगल ग्रह के केंद्र में कौन-कौन से तत्व है।

नासा ने बताया मंगल पर जीवन क्यों नहीं:धरती हमें सौर तूफान से बचा लेती है, लाल ग्रह पर यह मुमकिन नहीं:
जैसा कि हम लोग पृथ्वी के बारे में क्या जानते हैं ।पृथ्वी के सबसे ऊपरी भाग में क्रस्ट है फिर मेंटल है और फिर बीच में कोर है पृथ्वी का जो क्रस्ट है वो अपने आप में टैक्टोनिक प्लेट की तरह है । बीच में मेंटल थोड़ा लावा की तरह है और फिर केंद्र में कोर ठोस पदार्थ की तरह है अर्थात अंदर का भाग ठोस है 
https://studyup4u.blogspot.com/2023/06/Mangal par jeevan.html



लेकिन जब इसने मार्स पर जानकारी जुटाई और इस लैंडर ने जानकारी जुटाई कैसे भूकंप के माध्यम से भूकंप का अध्ययन करके
पृथ्वी का जो केंद्र है वह 64०० किलोमीटर अंदर है आज तक वहां पर कोई जा नहीं सका है हमारी कैलकुलेशन निकली कैसे हैं हमने सिस्मोलॉजी के माध्यम से अर्थात भूकंप के अध्ययन से पृथ्वी के अंदर की संरचना का पता लगाया है ।
बिल्कुल ऐसे ही मार्स पर भेजा गया यह इनसाइट लैंडर मार्स के अंदर की जानकारी जुटाने में कामयाब हुआ कि मार्स के अंदर असल में क्या है और जब इसने मार्स की जानकारियां जुटाई तब इसे पता चला कि यहां पर जीवन जीना संभव नहीं है।

आप सभी लोगों को पृथ्वी के बारे में पता है पृथ्वी का जो मैग्नेटिज्म है जो गुरुत्वाकर्षण है उसके लिए इसकी सबसे अंदर में अर्थात कोर में निकिल आयरन उपस्थित है आपको मालूम है न 
         सियाल(SiAl) ,सीमा(SiMa) और नीफे (NiFe)


अर्थात सबसे ऊपरी भाग में सिलिकॉन और एलमुनियम बीच में मेंटल में सिलिकॉन और मैग्नीशियम तथा कोर में निकिल और आयरन स्थित है ।

क्यों संभव नहीं है?


जितना भारी तत्व भीतर  स्थित होता है उसका भारी तत्त्व का आकर्षण उतना ही अधिक होता है आकर्षण अधिक से तात्पर्य है उसका गुरुत्वाकर्षण बल अधिक होता है।
पृथ्वी को जो गुरुत्वाकर्षण बल प्राप्त है उससे गुरुत्वाकर्षण बल के कारण है पृथ्वी पर हम जीवित हैं अब आप कहेंगे की क्यों नहीं होता तो क्या आप तैरने लगते 
वही गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी के चारों ओर मैग्नेटिक फील्ड अर्थात चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न कर देता है क्योंकि हमें मालूम है की निकिल और आयरन में मैग्नेटिक फील्ड का फीचर होता है इसीलिए पृथ्वी पर उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव होता है। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के बीच में चुंबकीय तरंगे चलते रहते हैं और उससे होता क्या है कि सूरज के द्वारा भेजी गई  विकिरण जब सोलर फ्लेयर के रूप में आती हैं तो यह सोलरफ्लेयर पृथ्वी की चुंबकीय क्षेत्र से टकराकर वही रह जाते हैं यह सभी ग्रहों पर फेंकी जाती है क्योंकि हम भी सौरमंडल का हिस्सा है तो सौरमंडल के हिस्से में जितने ग्रह हैं उन सभी ग्रहों पर सोलरफ्लेयर सूर्य द्वारा फेकी जाती है तो होता क्या है कि यह मैग्नेटिक क्षेत्र के आगे ही रह जाती हैं जिसके कारण हम और आप पृथ्वी पर सुरक्षित रह जाते हैं

अब यदि यही पर हम मंगल ग्रह की बात करें अर्थात लाल ग्रह की बात करें लाल ग्रह पर जो उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव है अंदर की तरफ ठोस स्थिति न होने के कारण यहां पर इसके अंदर आयरन तो है लेकिन वह द्रव रूप में है ठोस रूप में नहीं है इसलिए वह मैग्नेटिक फील्ड अर्थात चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न नहीं कर पाता जो कि सोलरफ्लेयर को रोकने में उपयोगी हो
ऐसी स्थिति में जो सूर्य की तरफ आने वाली हानिकारक विकिरण हैं या जो सोलर स्टॉर्म हैं वह सीधे जाकर मंगल के सरफेस में टकराते हैं वैज्ञानिकों के लिए यह अच्छा नहीं है कि सूर्य से आने वाली हानिकारक वितरण है सीधे-सीधे मंगल ग्रह पर जाकर टकराते हैं  जिसके कारण वहां पर  जीवन जीना असंभव है

मंगल पर जीवन होने की संभावना पर क्या कहती है नई रिसर्च:


हम पृथ्वी को देखकर हम यह अंदाजा लगाते हैं जिस प्रकार पृथ्वी पर जीना संभव है इस प्रकार मंगल ग्रह पर भी जीवन जीना संभव होगा इसी कारण न जाने कितनी बार मंगल ग्रह परमिशन भेजे गए हैं
इनसाइट लेंडर के द्वारा यह बताया गया कि मंगल ग्रह का  कोर पिघला हुआ है जबकि पृथ्वी का कोर बिलकुल सख्त है
इसके कारण जिसके कारण मंगल ग्रह चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न नहीं कर पाता इसलिए सूर्य से आने वाली हानिकारक विकिरण है मंगल ग्रह की सतह पर टकराती हैं जिस कारण यहां पर जीवन जीना संभव नहीं है

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