भारत : शक्ति के साधन

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ऊर्जा अथवा शक्ति का हमारे जीवन में बहुत महत्व है किसी भी कार्य को करने के लिए जिस प्रकार हमें शक्ति की आवश्यकता होती है इस प्रकार हमारे कृषि संबंधित कार्यों उद्योग धन दो परिवहन यातायात आज के लिए भी शक्ति का विशेष महत्व है इन कार्यों के लिए शक्ति जिन संसाधनों से प्राप्त होती है उन्हें शक्ति के साधन कहते हैं यह संसाधन कौन-कौन से हो सकते हैं ।

मुख्यतः शक्ति के संसाधन दो प्रकार के होते हैं

परंपरागत (कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस)

गैर परंपरागत (परमाणु, जल विद्युत, पवन, सौर, भूतापीय, ज्वारीय, बायोगैस)


कोयला :

कोयला एक खनिज पदार्थ है जिसे खानों से प्राप्त कर तापीय विद्युत गृहों तथा लव इस्पात उत्पादक कारखाने आदि में ऊर्जा के रूप में उपयोग किया जाता है 

क्या आप जानते हैं यह कोयला कैसे बना है ?

करोड़ों वर्ष पहले कोयल का निर्माण पेड़ पौधों के अब घटित होकर दलदलों में हमने से होगा गर्मी दबाव रासायनिक क्रियो आदि के फल स्वरुप जीवाश्म जीवन के अवशेष से कोयला एवं खनिज तेल बन गया भारत में कोयले का विस्तृत भंडार है कोयला चार प्रकार का होता है पीट, लिग्नाइट ,बिटुमिनस और एंथ्रसाइट 


खनिज तेल :

अपने लालटेन या स्टॉप को जलते हुए देखा होगा मोटरसाइकिल स्कूटर पंपिंग सेट इंजन डीजल रेल इंजन इत्यादि को चलते देखा होगा सोचिए 

  • इनके इंजन कैसे चलते हैं ?
  • लालटेन स्टोर में भरकर कौन सा तेल जलते हैं?

पंपिंग सेट डीजल रेल इंजन मोटरकार डीजल तेल से चलते हैं यह तेल हमें कैसे मिलता है?

आईए जानने का प्रयास करते हैं

अपने ट्यूबवेल को देखा होगा जिस प्रकार ट्यूबवेल बनाकर जल निकाला जाता है जिसे पीने के लिए तथा सिंचाई के लिए हमें पानी मिलता है इस प्रकार तेल को भी मशीन की सहायता से निकाला जाता है यह खनिज तेल अवसादी शैल के क्षेत्र में पाया जाता है खानों से निकले तेल को कच्चा तेल कहते हैं खनिज तेल को पानी की तरह सीधे उपयोग नहीं कर सकते इसीलिए खनिज तेल को साफ करने के लिए शोध शालाएं बनाए जाते हैं ।

प्राकृतिक गैस :

प्रायः प्राकृतिक गैसे,खनिज तेल, पेट्रोलियम के साथ ही कुओं के भीतर प्राप्त होती है ज्यादातर प्राकृतिक गैस क्षेत्र स्थल एवं सागर महासागर से स्थलीय भागों में मिलते हैं यह गैस कुओं से मशीनों द्वारा निकाली जाती है इसका उपयोग ऊर्जा के रूप में विभिन्न प्रकार से किया जाता है जैसे गैस चूल्हा जलाने में बिजली के उत्पादन में मोटर इंजन चलाने आदि में यह एक स्थान से दूसरे स्थान तक पाइपलाइन एवं गैस सिलेंडरों द्वारा भेजी जाती है कोयला पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस ऐसे जीवाश्म शक्ति के साधन है जो अनवीकरणीय होते हैं 

इनका अधिक उपयोग करने से निकट भविष्य में इनके समाप्त हो जाने की संभावना है अतः हमें शक्ति के वैकल्पिक साधनों का अधिक से अधिक प्रयोग सुरक्षित करना होगा 

आईए शक्ति के वैकल्पिक साधनों के बारे में जानते हैं 


जलविद्युत शक्ति :


कोयला की ढुलाई महँगी पड़ती है। खनिज तेल भी देश की माँग एवं खपत से कम उत्पन्न होता है। इसलिए देश में जलशक्ति का विकास किया गया है। आपने घर, विद्यालय / आस-पास छत में लगे बिजली के पंखों को चलते देखा है। इसे बिजली कहाँ से प्राप्त होती है ?


आइए जानें-

पहाड़ी एवं उच्च पठारी क्षेत्रों में नदी पर बाँध बनाकर पानी को एकत्र किया जाता है। बाँध के नीचे बड़े-बड़े पावर हाउस बनाकर 'जलविद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।


पावर हाऊस (Power House) : 


बाँध के नीचे बड़े-बड़े पंखे लगा कर उस पर जल को गिराया जाता है। जल विद्युत उत्पादन के लिए टरबाइन की धुरी को पंखों से जोड़ दिया जाता है। पंखों पर जल धारा गिरने से पंखे घूमने लगते हैं।

पंखे जितनी तेजी से चलेंगे, बिजली उतनी ही अधिक पैदा होगी क्योंकि इन पंखों की धुरी से बिजली पैदा करने वाली मशीन का सम्बन्ध होता है। इस प्रकार उत्पन्न विद्युत को 'जलविद्युत' कहते हैं। चित्र सं 4.3 पर हीराकुंड (ओडिशा), नागार्जुन सागर, रिहन्द भाखड़ा नांगल, दामोदर, बारामूला,

मयूराक्षी आदि बाँधों की स्थिति देखिए । 

बाँध / झील / सागर से हमें और क्या लाभ हैं? सोचकर बताइए ।


बिजली की आवश्यकता कल-कारखानों, घरेलू उद्योग-धन्धों, कृषि एवं घरेलू उपयोग के अतिरिक्त बिजली का उपयोग और कहाँ पर होता है ? सोचिए 


परमाणु ऊर्जा :

वैकल्पिक ऊर्जा का एक अन्य प्रमुख स्रोत परमाणु ऊर्जा है। इस ऊर्जा को हम परमाणु नाभिक के विखण्डन से प्राप्त करते हैं, इसीलिए इसे परमाणु ऊर्जा कहा जाता है। परमाणु ऊर्जा के महत्त्वपूर्ण स्रोत- यूरेनियम, थोरियम जैसे आणविक खनिज हैं। हमारे देश में झारखण्ड, मेघालय, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश और राजस्थान में यूरेनियम के भण्डार हैं। केरल के तट पर पाई जाने वाली मोनाजाइट बालू से थोरियम प्राप्त किया जाता है। जिसे अणुशक्ति बनाने में उपयोग किया जा सकता है।


भारत में शान्तिपूर्ण प्रयोग के लिए परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की शुरुआत 10 अगस्त 1948 को परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना के साथ हुई। भारतीय वैज्ञानिक डॉ० होमी जहाँगीर भाभा के निर्देशन में 1954 में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना की गई। परमाणु शक्ति के विकास में भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक डॉ० ए०पी०जे० अब्दुल कलाम का योगदान सराहनीय है।


सौर ऊर्जा :

सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊष्मा से जो शक्ति प्राप्त की जाती है, उसे सौर ऊर्जा कहते हैं।

सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सोलर सेल लगाए जाते हैं। हम सौर ऊर्जा से सोलर कुकर, सोलर लाइट, सोलर हीटर, आदि चलाते हैं। यह स्वच्छ ऊर्जा का स्रोत है। सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता को वर्तमान 4 गीगावाट से बढ़ाकर 100 गीगावाट करना भारत जलवायु कार्ययोजना-2030 का लक्ष्य है।


पवन ऊर्जा :

भारत के सागर तटवर्ती क्षेत्रों एवं नदियों के किनारों के भागों में जहाँ तेज और लगातार हवाएँ चलती हैं, वहाँ पवनचक्कियों के समूह लगाकर पवन ऊर्जा का उत्पादन किया जाता है। भारत में पवन ऊर्जा के उत्पादन में तमिलनाडु अग्रणी राज्य है। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान राज्यों में भी पवन ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है।


FAQ : 

(क) कोयला हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी है ? स्पष्ट कीजिए।

(ख) खनिज तेल कैसे निकाला जाता है ?

(ग) नरौरा परमाणु ऊर्जा केन्द्र कहाँ स्थित है ?

(घ) जीवाश्मी संसाधनों के विकल्प के  रूप में किन ऊर्जा संसाधनों का प्रयोग करते हैं ?


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