भारत आने वाले प्रमुख विदेशी यात्री
मेगस्थनीज :
यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था जो 310 ईसा पूर्व में दूत बनकर मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था यह 6 वर्षों तक चंद्रगुप्त के दरबार में रहा और उसने इंडिका नामक पुस्तक लिखिए भारत के तिथि वार इतिहास का प्रारंभ मेगास्थनीज के वर्णन से ही होता है।
डायोनिसियस :
डायोनिसियस एक यूनानी राजदूत था जिसे मेगास्थनीज का उत्तराधिकारी कहा जाता है इसे मिश्र के सम्राट तमी फिलाडेल्पस ने मौर्य साम्राज्य(बिंदुसार के शासनकाल में) में दूत बनाकर भेजा था
टॉल्मी :
यह द्वितीय शताब्दी के मध्य काल में भारत आया इसने भूगोल नामक पुस्तक लिखी
प्लिनी :
यह प्रथम शताब्दी में भारत आया इसने नेचुरल हिस्ट्री नामक ग्रंथ लिखा
फाह्यान :
यह एक चीनी तीर्थ यात्रा था जो चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के शासनकाल में 405 ईस्वी में भारत आया था ।
उसके भारत आगमन का मूल उद्देश्य बौद्ध ग्रंथ को प्राप्त करना था यह 411 ई तक भारत में रहा फाह्यान ने गुप्त काल के बारे में लिखा है ।
फाह्यान चीन में महायान बौद्ध धर्म का प्रचार करने वाले कुमारजीव का शिष्य था
संयुगन :
यह भी एक चीनी यात्री था
ह्वेनसांग :
ह्वेनसांग एक चीनी यात्री था और बौद्ध धर्म ग्रंथो की खोज में भारत आया था वह 630 ईस्वी में भारत आया और 643 ई तक भारत में रहा यह हर्षवर्धन के दरबार में भी गया ह्वेनसांग भारत से 657 हस्तलिखित ग्रंथ ले गया जिनमें से 74 ग्रंथो का उसने अनुवाद चीनी भाषा में किया हुई ली ने इसकी जीवनी लाइफ आफ ह्वेनसांग के नाम से लिखी।
इत्सिंग :
यह एक चीनी यात्री था जिसने भारत की यात्रा की
अलबरूनी :
यह महमूद गजनवी के साथ भारत आया था इसने भारत में रहकर संस्कृत ,हिंदी दर्शन तथा अन्य शास्त्रों का विस्तृत अध्ययन किया इस ने तहकीकात ए हिंद नामक पुस्तक की रचना की जिसमें हिंदुओं के इतिहास संस्कृति एवं परंपराओं का वर्णन है।
अलमसूदी :
यह एक अरब यात्री था जो प्रतिहार वंशीय शासक महिपाल प्रथम के समय भारत आया था किसने महज उल जबाह नामक ग्रंथ लिखा
मार्को पोलो
यह वेनिश यात्री था जो 1288 ईस्वी में दो बार भारत आया वह पांडय राजा के दरबार में गया था ।
इब्नबतूता :
यह मुहम्मद तुगलक के समय भारत आने वाला एक अफ्रीकी यात्री था मोहम्मद तुगलक ने उसे दिल्ली का प्रधान काजी नियुक्त किया तथा अपना राजदूत बनाकर चीन भेज दिया इसकी रचना का नाम रेहला है
निकोलो कोंटी :
यह विजयनगर के शासक देव राय प्रथम के समय 1420 ई से 1421 ई के बीच में भारत आया था
अब्दुर्रज्जाक :
यह ईरान का यात्री था जो विजयनगर के शासक देव राय द्वितीय के समय 1443 से 1444 ई के बीच में भारत आया था ।
फर्नांडो नुनीज :
यह एक पुर्तगाली यात्री था जो 1535 ईस्वी में विजयनगर आया था न्यूज़ ने विजयनगर को "विशनाग" की संज्ञा दी ।
पीटर मंडी :
पीटर मंडी पीटर मंडी एक यूरोपीय यात्री था जो जहांगीर के समय भारत आया इसने मुगल काल का वर्णन किया है ।
बारबोसा :
बारबोसा 1560 ईस्वी में भारत आया इसने विजयनगर उत्तरी भारत तथा बंगाल का भ्रमण किया इसके समय विजयनगर का शासक कृष्णदेव राय था ।
राल्फ फिंच :
यह 1588 ईस्वी में भारत आया तथा 1591 ई तक रहा इसने भारत के विभिन्न स्थानों की यात्रा की ।
जीन वैपटिस्ट टेवर्नियर :
यह शाहजहां के समय में भारत आया था टेवर्नियर ने ही भारतीय प्रसिद्ध हीरा कोहिनूर के बारे में भी जानकारी दी है टेवर्नियर के विवरण मुगलों की आर्थिक इतिहास की जानकारी के लिए महत्वपूर्ण है ।
सर थामस रो :
सर थॉमस रो मुगल दरबार में जहांगीर के समय 1616 ईस्वी में भारत आया वह जहांगीर के दरबार में गया तथा ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए व्यापारिक सुविधा प्राप्त करने का प्रयास किया
विलियम हॉकिंस :
यह 1608 ईस्वी में भारत आया और 1613 ई तक रहा इसने ईस्ट इंडिया कंपनी के एक व्यापारिक कर्मचारियों के रूप में जहांगीर से कंपनी के लिए व्यापारिक सुविधा प्राप्त करने का प्रयास किया यह फारसी भाषा का विद्वान था हॉकिंस ने जहांगीर के दरबार और महल की साज सज्जा तथा जहांगीर के व्यक्तिगत जीवन का विस्तृत विवरण लिखा है ।
हैमिल्टन :
यह एक शल्य चिकित्सक था जो फारुख शहर के शासनकाल में ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रतिनिधिमंडल का एक सदस्य बनकर भारत आया है मिल्टन ने मुगल सम्राट की पुत्री की चिकित्सा की और उसे प्रसन्न होकर सम्राट ने ईस्ट इंडिया कंपनी को व्यापारिक रियायते प्रदान कर दी ।
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