ऑपरेशन मेघचक्र क्या है? आइए जानते हैं।

ऑपरेशन मेघचक्र



  • एक ऑपरेशन जिसका कोड-नाम मेघ चक्र है, 
  • न्यूज़ीलैंड के अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के आधार पर इंटरपोल की सिंगापुर विशेष इकाई से प्राप्त जानकारी के बाद चलाया जा रहा है।
  • यह बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM) के प्रसार और उसे साझा करने के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा संचालित एक अखिल भारतीय अभियान है।

ऑपरेशन मेघचक्र के प्रमुख बिंदु :

  • 20 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में 59 स्थानों पर तलाशी ली गई और यह आरोप लगाया गया है कि बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक क्लाउड-आधारित भंडारण का उपयोग करके बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM) के ऑनलाइन संचलन, डाउनलोडिंग और प्रसारण में शामिल थे।


  • इस ऑपरेशन का उद्देश्य भारत में • विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों से जानकारी एकत्र करना, वैश्विक स्तर पर संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ जुड़ना और इस मुद्दे पर इंटरपोल चैनलों के माध्यम से निकटता से समन्वय करना है।

  • जाँच में 500 से अधिक समूहों की पहचान की गई थी, जिनमें 5000 से अधिक अपराधी ओट लगभग 100 देशों के नागरिक भी शामिल नवंबर 2021 में CBI द्वारा 'ऑपरेशन कार्बन नामक ऐसे ही एक अभ्यास कोड का संचालन किया गया था।

बाल यौन शोषण से जुड़े मुद्दे:

बहुस्तरीय समस्या : बाल योन बच्चों की शारीरिक सुरक्षा,शोषण एक बहुस्तरीय समस्या है जो मानसिक स्वास्थ्य, कल्याण और व्यवहार संबंधी पहलुओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।

डिजिटल प्रोद्योगिकियों के कारण प्रवर्धन: मोबाइल और डिजिटल प्रौद्योगिकियों ने बाल शोषण एवं दुर्व्यवहार को और बढ़ा दिया है। ऑनलाइन सटारत, उत्पीड़न तथा चाइल्ड पोनोग्राफी जैसे बाल शोषण के नए रूप भी सामने आए हैं।

अप्रभावी कानूनः हालांकि भारत सरकार ने यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 (POCSO अधिनियम) बनाया है, लेकिन यह बच्चों को यौन शोषण से बचाने में विफल रही है। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

कम सज़ा दरः विगत 5 वर्षों के ओसत को देखें तो लंबित मामलों की संख्या 90% है. इस प्रकार POCSO अधिनियम के तहत दोषसिद्धि की दर केवल 32% है।

न्यायिक विलंब: कठुआ बलात्कार मामले में मुख्य आटोपी को दोषी ठहटाने में 16 महीने लग गए, जबकि पॉक्सो अधिनियम में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि पूरी सुनवाई और दोषसिद्धि की प्रक्रिया एक साल में पूढ़ी की जानी है।

बच्चे के लिये प्रतिकूल: बच्चे की आयु निर्धारण से संबंधित चुनौतियाँ विशेष रूप से ऐसे कानून जो जैविक उस पर ध्यान केंद्रित करते हैं, न कि मानसिक उम्र पर

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012:

  • यह बच्चों के हितों की रक्षा और भलाई के लिये बच्चों को योन उत्पीड़न, दुव्यवहार एवं अश्लील साहित्य के अपराधों से बचाने के लिये अधिनियमित किया गया था।


  • यह अठारह वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को बच्चे के रूप में परिभाषित करता है और बच्चे के स्वस्थ शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक एवं सामाजिक विकास को सुनिश्चित करने के लिये हर स्तर पर बच्चे के सर्वोत्तम हित तथा कल्याण को सर्वोपरि मानता है।

  • यह अठारह वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को बच्चे के रूप में परिभाषित करता है और बच्चे के स्वस्थ शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक एवं सामाजिक विकास को सुनिश्चित करने के लिये हर स्तर पर बच्चे के सर्वोत्तम हित तथा कल्याण को सर्वोपरि मानता है।

  • यह योन शोषण के विभिन्न रूपों को परिभाषित करता है, जिसमें भेदक और गैर-ममंज हमले, साथ ही यौन उत्पीड़न एवं अश्लील साहित्य शामिल हैं।

  • ऐसा लगता है कि कुछ परिस्थितियों में योन आक्रमण वह गए हैं, जैसे कि जब दुर्व्यवहार का सामना करने वाला बच्चा मानसिक रूप से बीमार होता है अथवा जब दुर्व्यवहार परिवार के किसी सदस्य, पुलिस अधिकारी, शिक्षक या डॉक्टर जैसे विश्वसनीय लोगों द्वारा किया जाता है।

  • यह जाँच प्रक्रिया के दौरान पुलिस को चाल संरक्षक की भूमिका भी प्रदान करता है। अधिनियम में कहा गया है कि वाल यौन शोषण के मामले का निपटाटा अपराध की रिपोर्ट की तारीख से एक वर्ष के भीतर किया जाना चाहिये।

  • अगस्त 2019 में बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के लिये मृत्यु दंड सहित कठोर सज़ा देने के लिये इसमें संशोधन किया गया था।

  • संविधान प्रत्येक बच्चे को सम्मान के साथ जीने का अधिकार (अनुच्छेद 21), व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 21) निजता का अधिकार (अनुच्छेद 21), समानता का अधिकार(अनुच्छेद 14), भेदभाव (अनुच्छेद 15) और शोषण के विरुद्ध (अनुच्छेद 23 व 24 ) अधिकार की गारंटी प्रदान करता है।6-14 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों के लिये निःशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21A) 

  • राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों ओट विशेष रूप से अनुच्छेद 39 (F) यह सुनिश्चित करने के लिये राज्य पर एक दायित्व आटोपित करता है कि बच्चों को समग्र तरीके से स्वतंत्रता और गरिमापूर्ण स्थिति में विकसित होने के अवसर एवं सुविधाएँ प्रदान की जाए तथा वचपन व युवावस्था में शोषण तथा नेतिक एवं भौतिक परित्याग के विरुद्ध संरक्षण प्रदान किया जाए।













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