उत्तर प्रदेश का भौतिक विभाजन
भौतिक विभाजन :
किसी क्षेत्र में पाई जाने वाली भौगोलिक आकृतियों जैसे पहाड़, पर्वत वह मैदान आज के आधार पर विभाजन करना भौतिक विभाजन कहलाता है।
उत्तर प्रदेश राज्य के तीन भौतिक विभाजन :
भांवर एवं तराई क्षेत्र :
उत्तर प्रदेश में कांकरीली तथा पथरीली मृदा द्वारा निर्मित क्षेत्र भांवर क्षेत्र कहलाता है
अवसादी महीन मिट्टी द्वारा निर्मित क्षेत्र तराई क्षेत्र कहलाता है
भांवर क्षेत्र
- उत्तर प्रदेश का सबसे उत्तरी क्षेत्र है
- सहारनपुर से कुशीनगर तक यह पश्चिम में लगभग 34 से 35 किलोमीटर चौड़ा है पूर्व दिशा की ओर यह भर क्षेत्र सकरा होता चला जाता है
- ककरीली एवं पथरीली मिट्टी से निर्मित होने के कारण यह क्षेत्र कृषि उपयुक्त नहीं है
उदाहरण : सहारनपुर ,बिजनौर ,शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, कुशीनगर
तराई क्षेत्र :
स्थिति : सहारनपुर से देवरिया तक
महीन अवसादो वाली मिट्टी से निर्मित क्षेत्र को तराई क्षेत्र कहते हैं तराई क्षेत्र के अधिकांश भाग में साल सेमल तेंदू इत्यादि वृक्ष पाए जाते हैं
खेती : धान व गन्ना
अवस्थिति : सहारनपुर बिजनौर बरेली पीलीभीत बहराइच गोंडा गोरखपुर देवरिया कुशीनगर
नोट शिवालिक की डुंडवास श्रृंखला पूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में स्थित है प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में प्राचीनतम जलोढ को राढ के नाम से जाना जाता है
गंगा जमुना का मैदान :
निर्माण इस क्षेत्र का निर्माण गंगा की सहायक नदियों यमुना रामगंगा गोमती शारदा ताप्ती व गंडक इत्यादि द्वारा
चौड़ाई : 80 किलोमीटर
यह एक अत्यंत उपजाऊ मैदान है इस मैदान में मुख्यतः रवि व खरीफ की फसल की जाती है
- संरचना के आधार पर इस मैदान को दो अप भागों में विभक्त किया जाता है बांगर एवं खादर
- बांगर क्षेत्र यह क्षेत्र पुराने जलोढ मैदान है।
- निर्माण मध्य प्लास्टोसीन काल के दौरान
- यह उच्च भूमि वाले क्षेत्र है जहां पर बाढ़ का पानी नहीं पहुंच पाता है
- इसे बुंदेलखंड के पत्थर के नाम से जाना जाता है
- क्षेत्रफल 45200 वर्ग किलोमीटर
- औसत ऊंचाई 300 मी
नोट परंतु कुछ स्थानों पर इसकी ऊंचाई 450 मीटर होती है उदाहरण मिर्जापुर वह सोनभद्र में सोनाकर वह कैमूर श्रेणी
दक्षिण के पठारी प्रदेश में प्रवाहित होने वाली नदियां
बेतवा, चंबल ,केन ,टोंस ,सोन
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