पाल वंश
पाल वंश ने बंगाल में शासन किया। पश्चिम बंगाल को 'गौड़' एवं पूर्वी बंगाल को 'बंग' कहा जाता था।
पाल वंश का बंगाल पर अधिकार होने से पहले वहां अराजकता एवं अशांति का माहौल था, जिसे 'मत्स्य न्याय' कहते थे।
पाल वंश का संस्थापक गोपाल (750-770 ई.) था। गोपाल ने ओदंतपुरी के प्रख्यात मंदिर का निर्माण करवाया।
गोपाल के बाद धर्मपाल (770-810 ई.) शासक बना। इसके शासनकाल में ही कन्नौज के त्रिपक्षीय संघर्ष की शुरुआत हुई।
धर्मपाल बौद्ध धर्म का अनुयायी था तथा इसने ही विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की। इसने बौद्ध लेखक हरिभद्र को संरक्षण भी दिया।
महिपाल प्रथम (998-1038 ई.) ने एक बार फिर पालों की शक्ति को बढ़ाया। इसे पाल वंश का दूसरा संस्थापक भी कहा जाता है।
रामपाल (1077-1120 ई.) पालों का अंतिम शक्तिशाली शासक था। इसके समय संध्याकर नंदी ने रामपालचरित नामक पुस्तक लिखी।
रामपाल के समय 'कैवर्त्त' के किसानों का विद्रोह हुआ।
मदनपाल पाल वंश का अंतिम शासक था।
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