ये जो शीर्षक है / ये किसी व्यक्ति का नाम नहीं है / इससे जुड़ी हुई मेरी अपनी एक कहानी है शायद आपकी भी हो /
आज की बात मै अपने कमरे पर था / तो मैंने देखा की एक लड़की और उसके साथ एक छोटा २ वर्ष या ३ वर्ष का बच्चा था / वे पास में रखे हुए बालू के ढेर के पास गए / मैंने उन्हें देखा तो मेरे मन इच्छा जागृत हुई कि देखते है ये दोनों क्या करते है / वे बालू के
ढेर से पत्थर निकाल रहे थे /वे बहुत सारे अच्छे दिखने वाले पत्थर निकाल रहे थे /उन्हें देखने के बाद मुझे मेरे बचपन कि एक कहानी याद आ गयी / बचपन में जब हम और हमारे भाई साथ में शाम को बैठते थे तो दादी कहानी सुनाती थी कि एक पत्थर होता है जिसका नाम पारस पत्थर होता है और वो पत्थ
ऐसा होता कि अगर उसे लोहे के साथ छूने दिया जाए तो लोहा सोना बन जाता है /
और वे हमें बताती थी कि अरब निवासी अपने बकरियों के पैरो में कील ठोकते है क्योकि वे सोचते है कि अगर कही पर भी पत्थर अगर लोहे से छु जाएगा तो वो सोना हो जायेगा / और उन्हें अच्छा पैसा मिल जाएगा / कौन नही चाहता कि उसके पास खूब पैसे हो / हमें भी सुनने के बाद बहुत अच्छा लगता और
मै और मेरे भाई ये सुनने के पत्थर खोजने में जुट जाते / मै इसे इसलिए कह रहा हूँ कि हम भी बालू से पत्थर निकाला करते थे / और घर के सभी बर्तनों को छू कर देखते थे कि देखे सोना बनता है कि नहीं और ऐसा कुछ भी नहीं होता है / आज उन बच्चो को देखकर मुझे फिर से दादी की बात याद आई /
क्या आप ने भी कभी किसी उद्देश्य से ऐसा कोई काम किया है / मुझे पूरा विश्वास है कि आपने जरूर किया होगा / क्योकि जवानी और बुढापा शानदार हो या न हो लेकिन बचपन तो सबका शानदार होता है /
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