स्थलाकृतिया :
निर्माण के आधार पर स्थलाकृतिया मुख्यतः तीन प्रकार की होती है /
- पर्वत
- पठार
- मैदान
पर्वत :
उत्पत्ति के अनुसार पर्वत चार प्रकार के होते है /
ब्लाक पर्वत :
जब चट्टानों में स्थित भ्रंश के कारण मध्य भाग नीचे धंस जाता है तथा अगल बगल के भाग ऊँचे उठे हुए प्रतीत होते है , ब्लाक पर्वत कहलाते है / बीच में धंसे भाग को रिफ्ट घाटी कहते है / इस
प्रकार के पर्वत के उदाहरण है वास्जेंस (फ्रांस) , ब्लैक फारेस्ट (जर्मनी),साल्ट रेंज (पाकिस्तान)
विश्व की सबसे लम्बी रिफ्ट घाटी जार्डन नदी की घाटी है , जो लाल सागर की बेसिन से होती हुई जैम्बेजी नदी तक 4800 किमी० लम्बी है /
अवशिष्ट पर्वत :
ये पर्वत चट्टानों के अपरदन के फलस्वरूप निर्मित होते है / - जैसे - विध्यांचल एवं सतपुड़ा , नीलगिरी ,पारसनाथ, राजमहल की पहाड़िया (भारत), सीयरा (स्पेन), गैसा एवं बूटे(अमेरिका)
संचित पर्वत :
भूपटल पर मिट्टी ,बालू ,कंकर,पत्थर,लावा के एक स्थान पर जमा होते रहने के कारण बनने वाला पर्वत / रेगिस्तान में बनने वाले बालू के स्तूप इसी श्रेणी में आते है /
वलित पर्वत :
ये पृथ्वी की आन्तरिक शक्तियों से धरातल की चट्टानों के मुड जाने से बनते है / ये लहरदार पर्वत है ,जिन पर असंख्य अपनतिया और अभिनतिया होती है / जैसे- हिमालय,आल्पस,यूराल,राकीज,एण्डीज आदि
वलित पर्वतो के निर्माण का आधुनिक सिद्धांत प्लेट टेक्टानिक की संकल्पना पर आधारित है /
आज जहा पर हिमालय पर्वत खडा है ,वहा किसी समय में टेथिस सागर नामक विशाल भूअभिनति थी / दक्षिण के पठार का उत्तर की ओर विस्थापन होने के कारण टेथिस सागर में बल पड गया और वह ऊपर उठ गया जिससे संसार के सबसे ऊँचे विशाल वलित पर्वत का निर्माण हुआ /
भारत का अरावली पर्वत विश्व के सबसे प्राचीन वलित पर्वतो में गिना जाता है , इसकी सबसे ऊँची चोटी माउन्ट आबू के निकट गुरुशिखर है जिसकी समुद्र तल से उंचाई 1722 मी० है /
कुछ विद्वान अरावली पर्वत को अवशिष्ट पर्वत का उदाहरण मानते है /
पठार :
धरातल का विशिष्ट स्थलरूप, जो अपने आस पास के स्थल से पर्याप्त उंचा होता है तथा शीर्ष भाग चौड़ा एवं सपाट होता है / सामान्यतः पठार की ऊँचाई 300 से 500 फीट होती है /
कुछ अधिक ऊँचाई वाले भी पठार है - जैसे तिब्बत का पठार (16000 फीट), बोलीबिया का पठार(12000 फीट), कोलम्बिया का पठार (7800 फीट) पठार निम्न प्रकार के होते है /
- अन्तरपर्वतीय पठार -पर्वतमालाओ के बीच बने पठार
- .पर्वतपदीय पठार -पर्वत तल और मैदान के बीच उठे समतल भाग
- महाद्वीपीय पठार - जब पृथ्वी के भीतर जमा लैकोलिथ भूपृष्ठ के अपरदन के कारण सतह पर उभर जाते है तब ऐसे पठार बनते है जैसे - दक्षिण का पठार
- तटीय पठार : समुद्र के तटीय भाग में स्थित पठार
- गुम्बदाकार पठार : चलन क्रिया के फलस्वरूप निर्मित पठार जैसे - रामगढ़ गुम्बद (भारत)
मैदान :
500 फीट से कम उंचाई वाले भूपृष्ठ के समतल भाग को मैदान कहते है / मैदान कई प्रकार के होते है /
1.अपरदनात्मक मैदान : नदी , हिमानी ,पवन जैसी शक्तियों की अपरदन से इस प्रकार के मैदान बनते है / जो निम्न है -
- लोयस मैदान : हवा द्वारा उड़ाकर लाई गयी मिट्टी एवं बालू कण से निर्मित होते है /
- कार्स्ट मैदान : चूने पत्थर की चट्टानों के घुलने से निर्मित मैदान
- समप्राय मैदान : समुद्र तल के निकट स्थित मैदान जिनका निर्माण नदियों के अपरदन के फलस्वरूप होता है /
- ग्लैसियल मैदान : हिम के जमाव के कारण निर्मित दलदली मैदान जहा केवल वन पाए जाते है /
- रेगिस्तानी मैदान : वर्षा के कारण बनी नदियों के बहने के फलस्वरूप इसका निर्माण होता है /
- निक्षेपात्मक मैदान : नदी निक्षेप द्वारा बड़े -बड़े मैदानों का निर्माण होता है इसमे गंगा ,सतलज ,मिसीसिपी एवं ह्वांगहो के मैदान प्रमुख है /इस प्रकार के मैदानों में जलोढ़ मैदान , डेल्टा का प्रमुख मैदान है
वन :
वन निम्न प्रकार के होते है /
- उष्ण कटिबंधीय सदाबहार बन : इस प्रकार का वन विषुवतरेखीय प्रदेश और उष्ण कटिबंधीय प्रदेशो में पाया जाता है जहा 200 सेमी० से अधिक वर्षा होती है / यहाँ पेड़ो की पत्तिया चौड़ी होती है /
- उष्ण कटिबंधीय पतझड़ वन : 150 सेमी० से कम वर्षा प्राप्त करने वाला वन / साल ,सागवान,एवं बॉस आदि इसी वन में पाए जाते है /
- विषुवतरेखीय वन : इन वनों में वृक्ष और झाड़ियो का मिश्रण होता है - जैतून ,कार्क, तथा ओक यहाँ के मुख्य वृक्ष है /
- टैगा वन : ये सदाबहार वन है इस वन के वृक्ष की पत्तिया नुकीली होती है
- टुंड्रा वन : यह बर्फ से ढका रहता है गर्मी में यहाँ मांस तथा लाइकेन उगते है
- पर्वतीय वन : यहाँ चौड़ी पत्ती वाले शंकुधारी वृक्ष पाए जाते है/
घास के मैदान : घास के मैदान को दो भागों में विभाजित किया गया है /
- उष्ण कटिबंधीय घास भूमिया : इसे अलग अलग देशो में अलग अलग नामो से जाना जाता है जैसे -सवाना (अफ्रीका) , कम्पोज(ब्राजील), लानोस (वेनुजुवेला एवं कोलम्बिया)
- शीतोष्ण कटिबंधीय घास भूमिया : इसे निम्न नाम से जाना जाता है -प्रेयरी (संयुक्त राज्य अमेरिका एवं कनाडा) ,पम्पास (अर्जेन्टीना) ,वेल्ड (दक्षिण अफ्रीका), डाउन्स (आस्ट्रेलिया),स्टेपी(एशिया ,यूक्रेन ,रूस,चीन ,के मंचूरिया प्रदेश )
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