सामान्य परिचय
मुझे आपको यहां पर कोई सुभाष चंद्र बोस की जीवनी नहीं बताना मैं तो बस उनके अदम्य साहस और उनकी दयालुता की एक-एक कहानियां लिख रहा हूं।
शायद आपको या आपके दिल को छू जाए अगर अच्छी लगती हो तो कमेंट करके जरूर बताइए ।
हौसले ऐसे हो की दुश्मन भी थर्रा जाए ।
हिटलर जैसा तानाशाह झुककर घुटनों पर आ जाए।।
सुभाष चंद्र बोस एक नेकदिल इंसान थे ।
सुभाष चंद्र बोस बचपन में विद्यालय जाते थे तो रास्ते में एक बूढ़ी औरत उनसे मिलती थी जो कि एक गरीब थी जिसके लिए दो वक्त का खाना खाना बहुत मुश्किल था वे प्रतिदिन विद्यालय जाते वक्त अपने लंच बॉक्स का आधा भोजन उसे दे देते और आधे से स्कूल में भी भोजन कर लेते यही प्रक्रिया उनकी नित्य दिन की थी अर्थात प्रतिदिन की थी एक बार जब वे विद्यालय जा रहे थे तो उन्होंने देखा की बुढ़िया वहां पर नहीं बैठी थी बूढ़ी औरत कहां गई उन्होंने पता लगाया तो मालूम चला कि उस औरत की तो मृत्यु हो गई है उन्हे बड़ा दुख हुआ वे विद्यालय तो चले गए लेकिन अपने हिस्से का भी खाना नहीं खाया विद्यालय से छुट्टी होने के पश्चात जब घर आए उन्होंने अपना लंच बॉक्स निकालकर अपनी मां को दे दिया उनकी मां ने देखा तो उन्होंने सुभाष से पूछा सुभाष तुमने खाना क्यों नहीं खाया और वे उन्हें डांटने लगी और कहने लगी तुम प्रत्येक दिन ऐसा ही करते हो सुभाष चंद्र बोस रोने लगे और उन्होंने अपनी मां को यह पूरी कहानी बताएं यह सुनकर उनकी मां की आंखों से भी आंसू आ गए इससे पता चलता है कि सुभाष चंद्र बोस के दिल में कितनी दयालुता थी।
कुछ प्रमुख जानकारियां :
जन्म - 23 जनवरी 1987 कटक ,उड़ीसा
पिता - जानकी नाथ बोस
माता - प्रभावती दत्त
संतान -अनीता बोस
जीवनसाथी - एमिली सेंकल
सिटिजनशिप - ब्रिटिश राज
मृत्यु - 18 अगस्त 1945 ताइवान
मृत्यु का कारण - एयरक्रैश दुर्घटना
सुभाष चंद्र बोस एक निर्भीक क्रांतिकारी थे।
यह बात उस समय की है जब सुभाष चंद्र बोस इंग्लैंड पढ़ने गए थे तो वे जिस विद्यालय में पढ़ रहे थे वही के किसी प्रोफेसर ने यह कह दिया कि भारतीय कुत्ते होते हैं यह बात गांधी जी के कानों तक चली गई गांधी जी ने वहां पर उपस्थित सभी प्रोफेसर एवं विद्यार्थियों से हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन किया की मेरे सामने तो आपने यह बात बोल दी है लेकिन कोई भी व्यक्ति या कोई भी विद्यार्थी सुभाष चंद्र बोस के सामने इस बात को नहीं बोलेगा अभी सब को यह लगे लगने लगा कि सुभाष चंद्र बोस के सामने क्यों नहीं बोले आखिर सुभाष चंद्र बोस क्या है अब क्या करेंगे सबके मन में उत्सुकता थी तो किसी भी तरीके से किसी ने सुभाष चंद्र बोस के कान में बात बताते हैं और उनके(सुभाष) कान में पड़ते ही उनके तो चेहरे लाल हो गए और वे प्रोफेसर को तुरंत उसके क्लास से ही बाहर निकाल कर लाए और बाहर मैदान में पीटने लगे और बहुत बुरी तरीके से मारा अब आप सोच सकते हैं कि जो व्यक्ति दूसरे देश में हो कर भी उन्हें कि देश में उनकी पिटाई कर सकता है वह व्यक्ति कितना निडर हो सकता है। इस कहानी से पता चलता है की सुभाष चंद्र बोस कितने निर्भीक एवं निडर क्रांतिकारी थे।
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